Saturday, October 17, 2020

कुछ खिड़कियों और दरवाजों का एक घर हूँ,

पूरा रास्ता कटा मगर अधूरा सफर हूँ,

मैं तमाम उम्र देता रहा अब हुआ बेकार,

अपने ही आंगन का बूढ़ा हुआ शजर हूँ,

सारे शहर की नज़रे मुझ पर घूम रही थी,

मुझे क्या मालूम था मैं ही आज की खबर हूँ,

क्या वक़्त है दाने दाने को मोहताज़ हूँ,

खेत बंजर है और मैं पसीने से तर हूँ।।


Saturday, June 20, 2020

लड़खड़ाते होटल उद्योग को भविष्य में उम्मीद!!!

#VipinKiZindagi
लड़खड़ाते होटल उद्योग को भविष्य में उम्मीद!!!

वैश्विक महामारी कोरोना और लंबे लॉकडाउन की वजह से ठप हो चुका अजमेर का होटल उद्योग लड़खड़ाते हुए दोबारा अपने पैरों पर खड़ा होने का प्रयास कर रहा है। लॉकडाउन के बाद आने वाली नई चुनौतियां और उन चुनौतियों से निपटने के लिए हमें तैयार होना होगा।
लॉकडाउन की वजह से उड़ाने, ट्रेनें और बसें बंद होने के कारण अजमेर के इस व्यवसाय को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। अजमेर की मशहूर दरगाह में जियारत के लिए देश और विदेश से आने वाले लोगों से इस व्यवसाय को बहुत गति मिलती थी लेकिन लॉकडाउन में गाइडलाइन के कारण दरगाह भी बंद रही। राजस्थान में 8 जून को होटल व्यवसाय को गाइडलाइन के जरिए खोल तो दिया गया लेकिन ट्रेन, फ्लाइट्स और बसें नियमित नहीं होने के कारण इस व्यवसाय की कमर टूट गई है। कोरोना के आतंक की वजह से पर्यटक बिल्कुल भी नहीं आ रहे हैं साथ ही नियमित रूप से आने वाले कॉरपोरेट क्लाइंट्स भी ना के बराबर है।

◆नुकसान-
अजमेर में पिछले कुछ वर्षों से पर्यटन के क्षेत्र में तेजी से विकास होने के कारण होटल व्यवसाय भी बढ़ा है। पिछले कुछ वर्षों में अजमेर में होटल निर्माण में तेजी से वृद्धि हुई है। बहुत से लोगों ने इस व्यवसाय में होटल्स लीज पर लेकर भी निवेश किया है। लॉकडाउन ने व्यवसाय को ठप कर दिया है इसी वजह से कई होटल्स बंद होने की कगार पर हैं। लीज की राशि, नियमित स्टाफ को वेतन, बिजली का रनिंग खर्च, बैंक से लिए गए लोन कि किस्त आदि से इस व्यवसाय को होने वाले नुकसान का अनुमान लगाने से ही मन डर जाता है। होटल मालिकों का आर्थिक नुकसान तो है ही साथ ही इस व्यवसाय से जुड़े अनेक लोग अब बेरोजगारी की कगार पर हैं। इस व्यवसाय में ग्रामीण इलाकों से आए हुए लोग जो होटल की साफ-सफाई, रूम सर्विस या अन्य गतिविधियों से जुड़े होते थे उनकी लॉकडाउन के बाद इस व्यवसाय में गिरावट की वजह से नौकरियां नहीं रहने की वजह से बेरोजगारी बढ़ गई है।

◆कम होटल खुले-
गाइडलाइन के जरिए 8 जून से होटल व्यवसाय को खोला गया लेकिन कई होटल अभी भी नहीं खुले हैं। होटल मालिकों का मानना है की होटल खोलने पर खर्चे तो शुरू हो जाएंगे लेकिन आमदनी नगण्य होगी क्योंकि यातायात सुगम नहीं होने के कारण अभी पर्यटक बिल्कुल भी नहीं आएंगे, और आगे भी कोरोना के आतंक के कारण पर्यटक आने वाले कुछ महीनों तक डरा हुआ होगा।

◆संशय के साथ डर-
पर्यटक और कॉरपोरेट क्लाइंट के नहीं आने से भविष्य के प्रति मन में संशय की स्थिति है। होटल व्यवसाय केवल एक अकेला व्यवसाय नहीं इससे जुड़े कई व्यवसाय आपस में गुथे हुए हैं। टूरिस्ट मार्केट, ट्रैवल एजेंट, प्राइवेट बस/टैक्सी ऑपरेटर, रेस्टोरेंट्स, लीकरबार सभी होटल के व्यवसाय से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं और इन सभी पर से संशय के बादल तभी हटेंगे जब पर्यटकों की आवाजाही नियमित होकर बढ़ेगी। साथ ही मन में संक्रमण के फैलने का डर भी है क्योंकि होटल में जो भी व्यक्ति आता है वह किसी दूसरे क्षेत्र या शहर से आता है। दूसरे क्षेत्र या शहर से आवाजाही से संक्रमण तेजी से फैलना बड़ी चुनौती है।

◆सुरक्षा के इंतजाम-
होटल व्यवसाय की परिस्थितियां संक्रमण को लेकर बहुत ही संवेदनशील है। संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम करना बहुत जरूरी है। होटल में आने वाले अतिथियों की थर्मल स्क्रीनिंग के साथ उनके फुटप्रिंट से लेकर हाथों और उनके सामान का व्यापक सैनिटाइजेशन जैसे सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन बहुत जरूरी है। अतिथि यदि मास्क नहीं लाया है तो उसे मास्क उपलब्ध करवाना भी अनिवार्य होगा। अतिथि की ट्रैवल हिस्ट्री की जानकारी अतिथि रजिस्टर में भी एक जरूरी कदम होगा। रूम सर्विस को लेकर भी एक गंभीरता से विचार जरूरी होगा। सेल्फ सर्विस की ओर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता होगी। अतिथि के चेक आउट के बाद रूम का हाउसकीपिंग स्टाफ के द्वारा सैनिटाइजेशन भी जरूरी कदम होगा। होटल स्टाफ का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण किया जाना भी आवश्यक होगा। होटल के नोटिस बोर्ड और विभिन्न नोटिस किए जाने वाले स्थानों पर कोविड-19 से बचाव की जानकारियों सूचनार्थ लगा दी जाए जिससे जागरूकता भी बढ़ेगी। इन सब उपायों से कोविड-19 के संक्रमण से बचाव में मदद तो मिलेगी लेकिन होटल का मेंटेनेंस रखरखाव का खर्चा बढ़ जाएगा।

◆तस्वीर बदलने की आशा-
कोविड-19 के बाद अतिथि या होटल स्टाफ संक्रमण की वजह से चीजों को छूने से डरेंगे, और साफ-सफाई को जरूरी मानकों में लिया जाएगा। लोगों को लंबे लॉकडाउन के बाद और विषम आर्थिक परिस्थितियों में समय गुजारने के बाद जब भी समय अनुकूल होगा पर्यटक परिजनों सहित सुरक्षा मानकों के साथ बाहर निकलेगा और पर्यटन उद्योग तेजी से रफ्तार पकड़ेगा। आकर्षक पैकेज के साथ पर्यटन बढ़ने की संभावना है। पर्यटन को लेकर सरकार को भी नई रणनीति बनानी होगी। उम्मीद है की कुछ समय बीतने के बाद सुरक्षा मानकों के साथ होटल उद्योग में रौनक लौटेगी।
©विपिन जैन

Wednesday, May 29, 2019

मेरे मन का दर्द और सुकून

सुबह 5 बजकर 40 मिनिट...मेरे फ़ोन की घंटी लगातार बजी जा रही थी। गहरी नींद से जागकर फ़ोन देखा तो unknown न. था। कुछ सेकेंड सोचने के  बाद मैंने फ़ोन उठा लिया..."आप श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ सभा अजमेर के मंत्री विपिन जी बोल रहे है" सामने से आवाज़ आई। मैंने कहा "हाँ विपिन जैन बोल रहा हूँ, बोलिये आप कौन?" "मैं श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ सभा भुसावल (महाराष्ट्र) का मंत्री रवि निमानी बोल रहा हूँ, हमारे भुसावल के एक परिवार का आपके शहर के पास थांवला में सुबह 4 बजे के आसपास एक्सीडेंट हो गया है, परिवार में 13 जने है और टेम्पू ट्रेवलर से यात्रा कर रहे थे। हमें पुलिसकर्मियों ने सूचना दी है कि ड्राइवर सहित सभी 14 जनों को अजमेर के जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में ले जाया गया है। कृपया आप वहाँ जाकर उन लोगों की मदद करिये, हमारा किसी से भी संपर्क नही हो पा रहा।" निमानी जी की पूरी बात सुनने के बाद मैंने तुरंत अपने समाज के और साथियों को फ़ोन पर सूचना दी और निवेदन किया कि हमको अस्पताल पहुंच कर सभी के इलाज़ में मदद करनी चाहिए। कुछ लोगों को फ़ोन करने के बाद मैं अस्पताल के लिये निकला, मेरे पहुंचने के साथ ही तेरापंथ युवक परिषद के पूर्व अध्यक्ष अनिल जी छाजेड़, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष सुमति जी छाजेड़ और राजेश जी छाजेड़ भी पहुंचे। JLN आपातकालीन केंद्र(केजुअल्टी सेंटर) पर अफरा तफरी को देखकर हम चारों को समझने में ही कुछ मिनिट लग गए की हुआ क्या?  केजुअल्टी सेंटर के डॉ से पता चला सभी 13 जने चोटिल हुए थे, एक कि मृत्यु हो चुकी है और उनका नाम सुजीत कोठारी है। डॉ ने मुझसे पूछा आप कौन? मैंने जवाब दिया हम एक ही गुरु के अनुयायी है, पता चलने पर मदद के लिए आये है। डॉ ने बताया कि सुजीत जी कोठारी की बड़ी बेटी साक्षी का जबड़ा पूरा टूट चुका है सांस नही ले पा रही और वह सीरियस है, छोटी बेटी सेजल के हाथ में फ्रेक्चर (humerus bone) है, पत्नी और बेटे के कुछ ही चोट लगी है, सुजीत जी कोठारी की बहन का परिवार भी साथ ही यात्रा कर रहा था, सुजीत जी के भांजे शुभम के पैर में घुटने के ऊपर फ्रेक्चर(femur bone) था, शुभम की पत्नी सारिका के फेफड़ो में गहरी चोट से सीरीयस है, सुजीत जी के बड़े भाई की पत्नी मंजू और बेटा भी साथ था। मंजू के हाथ में और thighbone की बॉल में फ्रेक्चर है। बाकी सभी सुजीत जी की पत्नी, सुजीत जी की बहन, बच्चे डाली, वैभव और एक छोटी बच्ची को मामूली चोट ही आई थी। हम सभी समाज के लोगों ने मिलकर सभी घायलों के सुचारू रूप से इलाज ले लिए सभी हो सकने वाले प्रयास किये। सारिका सीरियस होने के कारण JLN अस्पताल के ICU में ही थी, कुछ ही समय बीता था शायद 1घंटा ही....सारिका के वेंटिलेटर लगा दिया गया था। उधर साक्षी की हालत भी बहुत खराब थी...JLN के न्यूरो सर्जन ने देखा और कहा जबड़े का इलाज तो बाद में भी हो जाएगा पहले न्यूरो की परेशानी न हो इस लिए इसे न्यूरो के वार्ड में शिफ्ट कर दिया.....7 जनो को इलाज कराकर हम तेरापंथ भवन ले आये। ड्राइवर को ज्यादा चोट नही लगी थी वो अस्पताल में ही भर्ती था।  हमने 3 जने मंजू, शुभम और सेजल का एक प्राइवेट ऑर्थोपेडिक अस्पताल में ऑपरेशन करवाने के लिए शिफ्ट कर दिया। अब हमें सारिका और साक्षी पर ही ध्यान केंद्रित करना था। सारिका दिन भर संघर्ष करती रही...शाम 6 बजे तक सुजीत जी कोठारी के भाई निर्मल जी कोठारी आ गए, सुजीत जी का पोस्टमार्टम करवाकर भुसावल ले जाना था। 2 घंटे बाद भुसावल तेरापंथ सभा के मंत्री रवि जी निमानी भी अपने साथियों के साथ अजमेर आ गए। साक्षी को दिनभर JLN ने रखने के बाद कोई सुधार न होने पर रात 11:30 मित्तल अस्पताल में ले आये, रात को साक्षी के भी वेंटिलेटर लगा दिया गया। अगले दिन सुबह...साक्षी में स्थिरता आ गई। डॉ ने बताया कि एक दो दिन के बाद आप इसे इलाज के लिए कही भी ले जा सकते है।
उधर सारिका दिन के बाद रात का संघर्ष कर अगले दिन की दहलीज पर आ जाती है। आज (यानी एक्सीडेंट का दूसरा दिन) मुझे पता चला कि शुभम और सारिका की शादी 11 महीने पहले ही हुई है। उसी क्षण मन अस्थिर हो गया, सारिका ने तो पूरी दुनिया भी नही देखी होगी, वैवाहिक जीवन का सुख दुख भी नही देखा। ईश्वर किसकी परीक्षा ले रहा था। दिनभर में मैं कई बार ICU में गया, उसमे जीने की तीव्र इच्छा शक्ति थी, शायद इसी लिए वो संघर्ष कर पा रही थी। निमानी जी, मैंने और कृणाल (सुजीत जी का मौसी का बेटा) ने निर्णय कर लिया था कि साक्षी को वेंटिलेटर वाली एम्बुलेंस में मुम्बई शिफ्ट करते है और सारिका को वेंटिलेटर वाली एम्बुलेंस में जयपुर इटरनल अस्पताल में शिफ्ट करते है। साक्षी को मित्तल से मुम्बई के लिए तीसरे दिन सुबह 11 बजे रवाना कर दिया। निमानी जी ने तो air ambulance से सारिका को मुम्बई ले जाने की भी पूरी संभावनाए तलाशी लेकिन परिस्थितिया हक़ में नही थी। अब मैं और निमानी जी सारिका को  दूसरी एम्बुलेंस में जयपुर ले जाने की तैयारी करने लगे, इतने में एम्बुलेंस के अटेन्डेन्ट ने सारिका को ICU में जाकर देखा और हमे बताया कि ऑक्सीजन लेवल इतना कम है कि उसे बेड से हिला भी नही सकते। सारे संसाधन  होने के बावजूद भी निमानी जी, मैं और कृणाल असहाय थे, हम कुछ नहीं कर सकते थे, सिर्फ इसी अस्पताल में उसके बेहतर होने की उम्मीद और प्रार्थना कर सकते थे। दोपहर का 1 बजा था उस वक़्त....इस जंग में मौत जीत गई सारिका हार गई...वो ढाई दिन भी सिर्फ और सिर्फ खुद की इच्छा शक्ति की वजह से जीवित रह पाई वरना कोई और होता तो पहले ही दिन शायद जंग हार जाता। खैर..उसका भी पोस्टमार्टम करा कर एम्बुलेंस में भुसावल  ले गए। निमानी जी जाते जाते मुझे कह गए तीन दिनों में खोया बहुत मगर एक जीवन भर का दोस्त पाया। आज लगभग 8 दिन बाद पता चला कि साक्षी को भी वेंटिलेटर पर ही रखा गया था। उसका जबड़े का सफल  ऑपरेशन भी हो गया। वो तीन दिन आज याद आ गए, जो कई सारे सवाल छोड़ गए थे।

Friday, February 3, 2017

सफर

वो उस रात का सफर,

मिलकर बिछुड़ने का सफर,

दोनों खामोश थे मगर,

दोनों की ख़ामोशी का सफर,

आज भी है सांसो का सफर,

उस रात की यादों का सफर,

उसके चेहरे में थी एक मासूमियत,

याद है उसकी मासूमियत का सफर,

वो आज फिर मिली उसी सफर में,

उसी मासूमियत के साथ,

तब वो अकेली थी सफर में,

आज है किसी हमसफ़र के साथ।

Thursday, September 22, 2016

कहते है मौसम ईमानदार नहीं होता।

कहते है मौसम ईमानदार नहीं होता,
कुछ घावों पर नमक भी असरदार नहीं होता,
अक्सर देखा जाता है आज कल,
दुश्मन भी वफादार नहीं होता,
सफ़र में अकेले थे जानिबे मंज़िल,
ज़िन्दगी यूँ बार बार भी इंतज़ार नहीं होता,
यकीं किया होता गर दिमाग पर,
आज दिल ऐ बीमार नहीं होता,
मेरे जैसा है शायद तू भी,
दोस्त कोई इतना तलबगार नहीं होता।

विपिन जैन

Thursday, June 7, 2012

जब तक तू रही मेरे पास रही,
तेरा प्यार पाकर भी प्यास रही,
वो ख़त जो तुमने दिए थे मुझे,
जलकर भी उनमे साँस रही, 
न पहुंचे मंजिल पर हम तुम,
सफ़र में फिर भी आस रही,
रह रह कर उठता है दर्द,
दिल में बाकी जो एक फांस रही,
बड़ी मुश्किल है डगर जीवन की, 
साथ तन्हाई रही वाही खास रही.