Saturday, September 6, 2008

गम कहते है




गम कहते है हमें यू जुदा न करो ,


हम कहते है मेरे दुःख की दवा न करो,

सज़ा दी है ज़िन्दगी ने हमें,


मगर ख़ुद को हमसे यू खफा न करो,


नही चाहते हो हमें अगर तुम,


तो दिखावे की दुआ न करो,


चंद लम्हों के लिए जिया न करो,


मोहब्बत चाहे न करो,


मगर अपने दिल से दूर भी न करो।

21 comments:

जितेन्द़ भगत said...

बहूत सुंदर लि‍खा है आपने-
नही चाहते हो हमें अगर तुम,
तो दिखावे की दुआ न करो,

जितेन्द़ भगत said...

साफगोई पसंद आई।

डॉ .अनुराग said...

badhiya hai....

श्रीकांत पाराशर said...

Achhi rachna. Akshar bahut chhote hain. font size thodi si badhayenge to ankhon par jor kam lagana padega.

seema gupta said...

" beautiful creation, keep it up"
Regards

रंजू भाटिया said...

बहुत खूब

राज भाटिय़ा said...

हमेशा की तरह से अति सुन्दर रचना.
धन्यवाद

शोभा said...

बहुत अच्छा लिखा है। बधाई

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा है विपिन जी-बेहतरीन!!

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Anonymous said...

वाह
अपने वो दिन याद आ गये :)

योगेन्द्र मौदगिल said...

वाकई फांट का साइज़ बढ़ाइये
अच्छी रचना

Vinaykant Joshi said...

बहुत सुन्दर रचना । बधाई |
vinay

shelley said...

नही चाहते हो हमें अगर तुम,



तो दिखावे की दुआ न करो,



चंद लम्हों के लिए जिया न करो,



मोहब्बत चाहे न करो,

bahut khub. bilkul sahi kaha aapne or safai k sath

parul said...

acha likha h

मीत said...

चंद लम्हों के लिए जिया न करो,
मोहब्बत चाहे न करो,
मगर अपने दिल से दूर भी न करो।
bahut sunder

योगेन्द्र मौदगिल said...

प्रियवर,
आपका संकलन 'जिन्दगी' मैंने बखूबी पढ़ा.
शिल्पगत त्रुटियां एकदम दूर नहीं होंगी.
एकाग्रता एवं निरन्तरता
(लेखन ही नहीं पठन की भी) जारी रखें.
किसी स्थानीय वरिष्ठ कवि से भी इसलाह करते रहें.
कथ्य में कल्पना, प्रेरणा, यथार्थ खूब है .
इसके लिये आपको बधाई.
सितम्बर में काफी व्यस्तता रहेगी अक्टूबर में याद दिलाइयेगा. मैं संकलन की कुछ कविताऒं को इंगित भी करूंगा.
अन्यथा न लें. शेष शुभ.
--योगेन्द्र मौदगिल

Pawan Kumar said...

good ....keep it up

admin said...

हम कहते है मेरे दुःख की दवा न करो,
सज़ा दी है ज़िन्दगी ने हमें,
मगर ख़ुद को हमसे यू खफा न करो,

बहुत सुन्दर भाव हैं, सीधे दिल में उतर जाने वाले।

PREETI BARTHWAL said...

सज़ा दी है ज़िन्दगी ने हमें,
मगर ख़ुद को हमसे यू खफा न करो,

बहुत खूब विपिन जी

Anonymous said...

नही चाहते हो हमें अगर तुम,
तो दिखावे की दुआ न करो,

अच्छा लिखा है।

अनूप शुक्ल said...

अच्छा लिखा है।