वो मुझे अपने समझते होंगे,
या वो मुझे पराया समझते होंगे,
जिसमें डूबी कश्तीयाँ कई लोगो की,
वो उस समंदर को दुश्मन समझते होंगे,
जिन्हे महफूज ले आया किनारे पर मैं,
वो तो मुझे दोस्त समझते होंगे,
शब्दों से चोट लगती है दिलों पर,
क्या कुछ लोग ज़माने में रिश्ते समझते होंगे
25 comments:
बहुत बढ़िया विपिन..
bahut badhiya...
वो मुझे अपने समझते होंगे,
या वो मुझे पराया समझते होंगे,
जिसमें डूबी कश्ती याँ कई लोगो की,
वो उस समंदर को दुश्मन समझते होंगे
bahut khoob dost....
bahut sunder rachna vipin ji
जिसमें डूबी कश्ती याँ कई लोगो की,
वो उस समंदर को दुश्मन समझते होंगे
bhut sundar panktiya hai. inme bhut sahi baat kha di aapne. ati uttam.
शब्दों से चोट लगती है दिलों पर,
क्या कुछ लोग ज़माने में रिश्ते समझते होंगे
--बहुत उम्दा...वाह!
क्या बात हे, रिश्तो की पहचान किसी किसी को ही सम्झ आती हे, इस सुन्दर रचना के लिये धन्यवाद
सादर अभिवादन
" वाह "
अच्छी रचना के लिए बहुत बधाई
अपने परिचय का एक मुक्तक और एक कविता भेज रहा हूँ ,
देखके बताईएगा
मुक्तक
हमारी कोशिशें हैं इस, अंधेरे को मिटाने की
हमारी कोशिशें हैं इस, धरा को जगमगाने की
हमारी आँख ने काफी, बड़ा सा ख्वाब देखा है
हमारी कोशिशें हैं इक, नया सूरज उगाने की ..
कविता
चाहता हूँ ........
एक ताजी गंध भर दूँ
इन हवाओं में.....
तोड़ लूँ
इस आम्र वन
के ये अनूठे
बौर पके महुए
आज मुट्ठी में
भरूं कुछ और
दूँ सुना
कोई सुवासित श्लोक फ़िर
मन की सभाओं में
आज प्राणों में उतारूँ
एक उजला गीत
भावनाओं में बिखेरूं
चित्रमय संगीत
खिलखिलाते
फूल वाले छंद भर दूँ
मृत हवाओं मैं ......
डॉ.उदय 'मणि'कौशिक
umkaushik@gmail.com
हिन्दी की श्रेष्ठ ,और सार्थक रचनाओं के लिए देखें
http://mainsamayhun.blogspot.com
शब्दों से चोट लगती है दिलों पर,
क्या कुछ लोग ज़माने में रिश्ते समझते होंगे
" bhut ythart bhree sabd"
जिसमें डूबी कश्तीयाँ कई लोगो की,
वो उस समंदर को दुश्मन समझते होंगे,
bahut khoob... achha vivaran ahi manav swabhav ka
rishto ko samjhane ka aapka tarika mujhe behad achchha laga.....
great dear!!
mukesh
क्या बात है विपिन जी बहुत ही ख़ूबसूरत लिखते हैं। अच्छा लगा आपके ब्लाग पर आकर और कोशिश करूंगा कि आता रहूं।
शब्दों से चोट लगती है दिलों पर,
क्या कुछ लोग ज़माने में रिश्ते समझते होंगे।
बहुत ख़ूब।
सच कहा आपने शब्द चोट देते हैं, मगर शब्द ही सुकून भी देते हैं। कभी महसूस करके देखिएगा। शब्द ही सबकुछ देते हैं।
अपने ही अपनो के दुश्मन होते है् ।
वो रिश्तों की गहराई को क्या समझेंगे ।
आप का ब्लाग मै हमेशा पढ़ती हूँ ।
आप बहुत अच्छा लिखते हैं ।
बधाई ।
जिसमें डूबी कश्तीयाँ कई लोगो की,वो उस समंदर को दुश्मन समझते होंगे,
बहुत खूब वाह !
शब्दों से चोट लगती है दिलों पर,
क्या कुछ लोग ज़माने में रिश्ते समझते होंगे
^ dil ki baato ko jubaan dedi apane...
sundar bhaw shabd sanyojan bhi umda..tabiyat kharab rahne ke karan der se pahunchi...aap bahut achchha likhten hain,jari rakhen.
mujhe sarahne ke liye shukriya..
apne ye kavita bahut achi likhi hai..
umda...
क्या कुछ लोग ज़माने में रिश्ते समझते होंगे
बहुत सुंदर और शान दार कविता !
बहुत बहुत धन्यवाद इस के लिए !
सुन्दर अभिव्यक्ति!
wo to mujhe dost samajhate honge.pehli baar aapko padh raha hun thoda rukha aadmi hu magar aapne dil ko chhu liya.hamehsha padhta rahunga,umeed hai kuchh to rukhapan kam hoga.badhai achhi kalam ke liye
बहुत सुंदर, विपिन.
Vipin
accha Khayal hai. zidgi ke kuch ansh mujhe post karen.
bahut badhiya vipin
har ek line bahut khoob
जिंदगी में रिश्ते हमारे जन्म से शुरू होते हैं,
और मौत के बाद भी रिश्ते नही टूटते हैं,
अच्छा है...
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