दुख की रात है, सवेरा होना अभी बाकी है,
ऐ खुदा तू हार गया इतनी ताकत दिखा के भी,
समँदर पार बस्तिया अभी बाकी है,
टूट गये है सारे मुसाफिर सफ़र में,
उन मुसाफिरो में गुबार अभी बाकी है,
खुशी और ग़म के रैलों में,ग़म आ गये,
खुशी का इंतज़ार अभी बाकी है,
तेरी ताक़त हमने देखी ऐ खुदा,
हमारी हिम्मत दिखाना तो अभी बाकी है ।
शरार*= चिंगारी
17 comments:
बहुत खूब.
बहुत उम्दा....
तेरी ताक़त हमने देखी ऐ खुदा,
हमारी हिम्मत दिखाना तो अभी बाकी है ।
वाह...ये हुई ना बात...हिम्मत-ऐ-मरदां मदद-ऐ-खुदा....ऐसी दम ख़म वाली रचना पढ़ कर आनंद आ गया...
नीरज
तेरी ताक़त हमने देखी ऐ खुदा,
हमारी हिम्मत दिखाना तो अभी बाकी है ।
वाह! बातों बातों में खुदा से पंगा। लेकिन जज्बे की कद्र करते हैं हम भी। सुंदर...अति उत्तम।।।।।
तेरी ताक़त हमने देखी ऐ खुदा,
हमारी हिम्मत दिखाना तो अभी बाकी है ।
यही हे जिन्दा दिली, मजा आ गया एक उम्दा रचना पढ कर. धन्यवाद
अच्छी रचना...
परिपक्वता आ रही है धीरे-धीरे..
बधाई.......................
वाह! बहुत बढ़िया.
बहुत बढियां !
bahut strong creation.much motivating,
बहुत शानदार भई विपिन जी ! मजा आ गया !
मस्त लिखा
:) :)
Very good......
खुशी का इंतज़ार अभी बाकी है,
तेरी ताक़त हमने देखी ऐ खुदा,
हमारी हिम्मत दिखाना तो अभी बाकी है ।
बहुत खूब.
"kmal ke poetry," great going keep it up
Regards
तेरी ताक़त हमने देखी ऐ खुदा,
हमारी हिम्मत दिखाना तो अभी बाकी है ।
बहुत खूब। यही इन्सानी पहचान है।
ati sundar!!
स्वाधीनता दिवस की शुभकामनाएं! वंदे मातरम!
बहुत खूब, क्या बात है !
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