कुछ नही है तो बस,वो बचपन नही है,न जाने कहाँ चला गया?वो बचपन.बहुत खूब
बेहतरीन..बहुत उम्दा...वाह!
बेहद सुंदर रचना ! धन्यवाद !
shaandar
बचपन के दिन भी क्या दिन थे, उड़ते फिरते तितली बन...बहुत सुंदर रचना...नीरज
वाह वाह बहुत सुन्दर
अति सुन्दर
बहुत बढिया!!कुछ नही है तो बस,वो बचपन नही है,न जाने कहाँ चला गया?वो बचपन.
बहुत दूर कहीं,जहाँ सपने भी है,रस्मे भी है,इरादे भी है,कुछ नही है तो बस,वो बचपन नही है,न जाने कहाँ चला गया?वो बचपन.bahtreen likha hai bhai..khoobsurat..
सही कहा आपने बचपन कैसा भी हो, किसी का भी हो, रह-रह कर याद आता है।
कुछ नही है तो बस,वो बचपन नही है,न जाने कहाँ चला गया?वो बचपन.bahut khubsurat.
बहुत सुंदर! वाह वाह!
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12 comments:
कुछ नही है तो बस,
वो बचपन नही है,
न जाने कहाँ चला गया?
वो बचपन.
बहुत खूब
बेहतरीन..
बहुत उम्दा...वाह!
बेहद सुंदर रचना ! धन्यवाद !
shaandar
बचपन के दिन भी क्या दिन थे, उड़ते फिरते तितली बन...
बहुत सुंदर रचना...
नीरज
वाह वाह बहुत सुन्दर
अति सुन्दर
बहुत बढिया!!
कुछ नही है तो बस,
वो बचपन नही है,
न जाने कहाँ चला गया?
वो बचपन.
बहुत दूर कहीं,
जहाँ सपने भी है,
रस्मे भी है,
इरादे भी है,
कुछ नही है तो बस,
वो बचपन नही है,
न जाने कहाँ चला गया?
वो बचपन.
bahtreen likha hai bhai..
khoobsurat..
सही कहा आपने बचपन कैसा भी हो, किसी का भी हो, रह-रह कर याद आता है।
कुछ नही है तो बस,
वो बचपन नही है,
न जाने कहाँ चला गया?
वो बचपन.
bahut khubsurat.
बहुत सुंदर! वाह वाह!
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