अब बिछुड़ने का मलाल था शायद
वो रिश्तो का दलाल था शायद
उसके हाथों में लगा था खून
हमने सोचा गुलाल था शायद
तेरी खुशबु थी महकी महकी
नींद में तेरा ख्याल था शायद
वो मुझे लगातार देखता ही रहा
आँखों में उसके कोई सवाल था शायद
उसे क्या हाले दिल सुनाऊ मैं
वो खुद ही बेहाल था शायद
3 comments:
बहुत खुब जी
अब बिछुड़ने का मलाल था शायद
वो रिश्तो का दलाल था शायद
उसके हाथों में लगा था खून
हमने सोचा गुलाल था शायद
वाह .....बहुत खूब ....!!
बहुत सुन्दर रचना...
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'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है.
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