जब तक तू रही मेरे पास रही,
तेरा प्यार पाकर भी प्यास रही,
वो ख़त जो तुमने दिए थे मुझे,
जलकर भी उनमे साँस रही,
न पहुंचे मंजिल पर हम तुम,
सफ़र में फिर भी आस रही,
रह रह कर उठता है दर्द,
दिल में बाकी जो एक फांस रही,
बड़ी मुश्किल है डगर जीवन की,
साथ तन्हाई रही वाही खास रही.
1 comment:
बहुत खूब! आँच बुझने के बाद बची राख भी उसकी खासियत ही याद दिलाती है।
Post a Comment