Thursday, July 31, 2008

बिखरी शाम


अश्क़ भी है, जाम भी है,


दर्द में उसका नाम भी है,


रिश्तो में बिखरे हम,


बिखरी हुई शाम भी है,


बगल में रहती छुरी हरदम,


मुहँ में मगर राम भी है,


गम मिले तो कहना उसे,


मुझे उससे काम भी है



24 comments:

L.Goswami said...

ati sundar..bhav bhi kavita bhi

admin said...

छोटी बहर में सरल शब्दावली में खूबसूरत गजल कही है आपने। बधाई।

डॉ .अनुराग said...

bahut khoob...

seema gupta said...

"ek pyaree se gazal"

bnney ko kitney hee bn jatey,
risthoyn ke magar ab daam bhee hain....

रंजू भाटिया said...

अच्छी लगी आपकी यह रचना

ज़ाकिर हुसैन said...

रिश्तो में बिखरे हम,
बिखरी हुई शाम भी है,
बगल में रहती छुरी हरदम,
मुहँ में मगर राम भी है,

एक शानदार ग़ज़ल
गागर में सागर भी कह सकते हैं

बालकिशन said...

बहुत खूब.
अति सुंदर.
जवाब नहीं आपकी लेखनी का.

Ila's world, in and out said...

बहुत खूब.सरल किन्तु दमदार कविता के लिये बधाई.

Arvind Mishra said...

दर्द में उसका नाम भी है,
दर्द तो उसी बेदर्द का ही है -बेदर्द साथ हो तो दर्द छूमंतर और दूर जाय तो कमबख्त फिर आ धमके -

Manish Kumar said...

saral sundar ghazal.

Vinay said...

बगल में रहती छुरी हरदम,
मुहँ में मगर राम भी है,

sach baat!

शोभा said...

बगल में रहती छुरी हरदम,



मुहँ में मगर राम भी है,



गम मिले तो कहना उसे,



मुझे उससे काम भी है
बहुत सुन्दर

राज भाटिय़ा said...

वाह क्या बात हे,बहुत हि सुन्दर गजल धन्यवाद

Smart Indian said...

गम मिले तो कहना उसे,
मुझे उससे काम भी है.

थोड़े से शब्दों में इतनी सशक्त रचना - बहुत सुंदर.

समय चक्र said...

अश्क़ भी है, जाम भी है,
दर्द में उसका नाम भी है,
रिश्तो में बिखरे हम,
बिखरी हुई शाम भी है,
bahut badhiya bemishaal rachana .

PREETI BARTHWAL said...

बहुत बढिया रचना है आपकी

Anonymous said...

chhuri walon se bhi padte hain kaam
to jano ke jeena haraam

wah bhai kya kahi aapne..............

rajesh

ताऊ रामपुरिया said...

भाई विपीनजी बहुत उम्दा और शशक्त रचना !
बहुत शुभकामनाएं !

ताऊजी said...

अति सुंदर रचना के लिए दिल
से धन्यवाद आपको !

Pramendra Pratap Singh said...

बेहतरीन

योगेन्द्र मौदगिल said...

Badhai priywar badhai

अभिन्न said...

विपिन जी छोटी बहर में कितनी शानदार जानदार रचना देखने को मिली है
गम मिले तो कहना उसे,
मुझे उससे काम भी है
परिपक्वता और एकाग्रता साफ़ झलक रही है

kabira said...

wonderful writing

Advocate Rashmi saurana said...

रिश्तो में बिखरे हम,
बिखरी हुई शाम भी है,
bhut sundar panktiya hai. badhai ho.