अश्क़ भी है, जाम भी है,
दर्द में उसका नाम भी है,
रिश्तो में बिखरे हम,
बिखरी हुई शाम भी है,
बगल में रहती छुरी हरदम,
मुहँ में मगर राम भी है,
गम मिले तो कहना उसे,
मुझे उससे काम भी है
ati sundar..bhav bhi kavita bhi
छोटी बहर में सरल शब्दावली में खूबसूरत गजल कही है आपने। बधाई।
bahut khoob...
"ek pyaree se gazal"bnney ko kitney hee bn jatey,risthoyn ke magar ab daam bhee hain....
अच्छी लगी आपकी यह रचना
रिश्तो में बिखरे हम, बिखरी हुई शाम भी है, बगल में रहती छुरी हरदम, मुहँ में मगर राम भी है, एक शानदार ग़ज़ल गागर में सागर भी कह सकते हैं
बहुत खूब.अति सुंदर.जवाब नहीं आपकी लेखनी का.
बहुत खूब.सरल किन्तु दमदार कविता के लिये बधाई.
दर्द में उसका नाम भी है,दर्द तो उसी बेदर्द का ही है -बेदर्द साथ हो तो दर्द छूमंतर और दूर जाय तो कमबख्त फिर आ धमके -
saral sundar ghazal.
बगल में रहती छुरी हरदम, मुहँ में मगर राम भी है, sach baat!
बगल में रहती छुरी हरदम, मुहँ में मगर राम भी है, गम मिले तो कहना उसे, मुझे उससे काम भी हैबहुत सुन्दर
वाह क्या बात हे,बहुत हि सुन्दर गजल धन्यवाद
गम मिले तो कहना उसे, मुझे उससे काम भी है. थोड़े से शब्दों में इतनी सशक्त रचना - बहुत सुंदर.
अश्क़ भी है, जाम भी है, दर्द में उसका नाम भी है, रिश्तो में बिखरे हम, बिखरी हुई शाम भी है,bahut badhiya bemishaal rachana .
बहुत बढिया रचना है आपकी
chhuri walon se bhi padte hain kaamto jano ke jeena haraamwah bhai kya kahi aapne..............rajesh
भाई विपीनजी बहुत उम्दा और शशक्त रचना ! बहुत शुभकामनाएं !
अति सुंदर रचना के लिए दिल से धन्यवाद आपको !
बेहतरीन
Badhai priywar badhai
विपिन जी छोटी बहर में कितनी शानदार जानदार रचना देखने को मिली है गम मिले तो कहना उसे, मुझे उससे काम भी हैपरिपक्वता और एकाग्रता साफ़ झलक रही है
wonderful writing
रिश्तो में बिखरे हम, बिखरी हुई शाम भी है, bhut sundar panktiya hai. badhai ho.
Post a Comment
24 comments:
ati sundar..bhav bhi kavita bhi
छोटी बहर में सरल शब्दावली में खूबसूरत गजल कही है आपने। बधाई।
bahut khoob...
"ek pyaree se gazal"
bnney ko kitney hee bn jatey,
risthoyn ke magar ab daam bhee hain....
अच्छी लगी आपकी यह रचना
रिश्तो में बिखरे हम,
बिखरी हुई शाम भी है,
बगल में रहती छुरी हरदम,
मुहँ में मगर राम भी है,
एक शानदार ग़ज़ल
गागर में सागर भी कह सकते हैं
बहुत खूब.
अति सुंदर.
जवाब नहीं आपकी लेखनी का.
बहुत खूब.सरल किन्तु दमदार कविता के लिये बधाई.
दर्द में उसका नाम भी है,
दर्द तो उसी बेदर्द का ही है -बेदर्द साथ हो तो दर्द छूमंतर और दूर जाय तो कमबख्त फिर आ धमके -
saral sundar ghazal.
बगल में रहती छुरी हरदम,
मुहँ में मगर राम भी है,
sach baat!
बगल में रहती छुरी हरदम,
मुहँ में मगर राम भी है,
गम मिले तो कहना उसे,
मुझे उससे काम भी है
बहुत सुन्दर
वाह क्या बात हे,बहुत हि सुन्दर गजल धन्यवाद
गम मिले तो कहना उसे,
मुझे उससे काम भी है.
थोड़े से शब्दों में इतनी सशक्त रचना - बहुत सुंदर.
अश्क़ भी है, जाम भी है,
दर्द में उसका नाम भी है,
रिश्तो में बिखरे हम,
बिखरी हुई शाम भी है,
bahut badhiya bemishaal rachana .
बहुत बढिया रचना है आपकी
chhuri walon se bhi padte hain kaam
to jano ke jeena haraam
wah bhai kya kahi aapne..............
rajesh
भाई विपीनजी बहुत उम्दा और शशक्त रचना !
बहुत शुभकामनाएं !
अति सुंदर रचना के लिए दिल
से धन्यवाद आपको !
बेहतरीन
Badhai priywar badhai
विपिन जी छोटी बहर में कितनी शानदार जानदार रचना देखने को मिली है
गम मिले तो कहना उसे,
मुझे उससे काम भी है
परिपक्वता और एकाग्रता साफ़ झलक रही है
wonderful writing
रिश्तो में बिखरे हम,
बिखरी हुई शाम भी है,
bhut sundar panktiya hai. badhai ho.
Post a Comment