जिसने सब कुछ दे दिया,
वो अब और क्या देगा?
जो खुदा न दे सका,
वो अब आदमी क्या देगा?
जो लम्हे वो ले गया है,
वक़्त अब क्या देगा?
हमसे पूछो दोस्ती का सिला,
जो गम के सिवा क्या देगा?
इश्क़ का ज़हर पीया है हमने,
इससे कड़वा खुदा क्या देगा?
हमसे पूछो दोस्ती का सिला,जो गम के सिवा क्या देगा? बहुत सुंदर लिखा है आपने
जो लम्हे वो ले गया है,वक़्त अब क्या देगा? bahut badhiya....
इश्क़ का ज़हर पीया है हमने, इससे कड़वा खुदा क्या देगा?bahut badhiya badhai.
बहुत ही सुन्दर रचना है विपिन जी सरलता और सहजता इस की खासियत है इश्क़ का ज़हर पीया है हमने, इससे कड़वा खुदा क्या देगा?
आपने बहुत सुन्दर सहज व भावपूर्ण कविता लिखी है।घुघूती बासूती
क्या बात है!!! वाह! बहुत खूब!!
Good one budy...इश्क़ का ज़हर पीया है हमने, इससे कड़वा खुदा क्या देगा? वाह मियां...बहुत खूब...सुदर...अति उत्तम।।।।
अपने जज्बातों को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं।बहुत बढिया लिखा है-हमसे पूछो दोस्ती का सिला,जो गम के सिवा क्या देगा?
इससे कड़वा खुदा क्या देगा?bahut khoob hai...or mujhe protsahan dene ke liye bahut abhaar...jari rahe
हमसे पूछो दोस्ती का सिला,जो गम के सिवा क्या देगा?सुन्दरतम अभिव्यक्ति !!धन्यवाद !
is se kadwa kuchh hota hi nahi sahi kaha.
इससे कड़वा खुदा क्या देगा? इस कविता मे बहुत बडी बात कह दी आप ने,बहुत ही सुन्दर भाव,बहुत धन्यवाद
bhut badhiya. or sahi bhi. ati uttam.
आपने जिंदगी की सच्चाई लिखी हैइश्क का जहर पीया है हमनेइससे कड़वा खुदा क्या देगाबहुत खूब
bhaut hii ghari rachnaaur sher
इश्क़ का ज़हर पीया है हमने, इससे कड़वा खुदा क्या देगा? "good presentation of thoughts" keep it up
इश्क़ का ज़हर पीया है हमने, इससे कड़वा खुदा क्या देगा?..मतलब कमबख्त इश्क ने निकम्मा बना दिया वरना हम भी आदमी थे काम के :-)
जिंदगी के करीब है आपकी यह गजल। और यह शेर तो एकदम दिल में उतर गया-इश्क़ का ज़हर पीया है हमने,इससे कड़वा खुदा क्या देगा? बहुत बहुत बधाई।
भई इक बार फिर आप तारीफ़ के पात्र हैं!
बहुत सुंदर!
कमाल की रचना
खुशी तो सभी दिया करते हैं , पर गम देनें वाले बडे ही कम मिला करते हैं
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22 comments:
हमसे पूछो दोस्ती का सिला,
जो गम के सिवा क्या देगा?
बहुत सुंदर लिखा है आपने
जो लम्हे वो ले गया है,
वक़्त अब क्या देगा?
bahut badhiya....
इश्क़ का ज़हर पीया है हमने,
इससे कड़वा खुदा क्या देगा?
bahut badhiya badhai.
बहुत ही सुन्दर रचना है विपिन जी सरलता और सहजता इस की खासियत है
इश्क़ का ज़हर पीया है हमने,
इससे कड़वा खुदा क्या देगा?
आपने बहुत सुन्दर सहज व भावपूर्ण कविता लिखी है।
घुघूती बासूती
क्या बात है!!! वाह! बहुत खूब!!
Good one budy...
इश्क़ का ज़हर पीया है हमने,
इससे कड़वा खुदा क्या देगा?
वाह मियां...बहुत खूब...
सुदर...अति उत्तम।।।।
अपने जज्बातों को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं।बहुत बढिया लिखा है-
हमसे पूछो दोस्ती का सिला,
जो गम के सिवा क्या देगा?
इससे कड़वा खुदा क्या देगा?
bahut khoob hai...
or mujhe protsahan dene ke liye bahut abhaar...
jari rahe
हमसे पूछो दोस्ती का सिला,
जो गम के सिवा क्या देगा?
सुन्दरतम अभिव्यक्ति !!
धन्यवाद !
is se kadwa kuchh hota hi nahi sahi kaha.
इससे कड़वा खुदा क्या देगा? इस कविता मे बहुत बडी बात कह दी आप ने,बहुत ही सुन्दर भाव,बहुत धन्यवाद
bhut badhiya. or sahi bhi. ati uttam.
आपने जिंदगी की सच्चाई लिखी है
इश्क का जहर पीया है हमने
इससे कड़वा खुदा क्या देगा
बहुत खूब
bhaut hii ghari rachna
aur sher
इश्क़ का ज़हर पीया है हमने,
इससे कड़वा खुदा क्या देगा?
"good presentation of thoughts" keep it up
इश्क़ का ज़हर पीया है हमने,
इससे कड़वा खुदा क्या देगा?
..मतलब कमबख्त इश्क ने निकम्मा बना दिया वरना हम भी आदमी थे काम के :-)
जिंदगी के करीब है आपकी यह गजल। और यह शेर तो एकदम दिल में उतर गया-
इश्क़ का ज़हर पीया है हमने,
इससे कड़वा खुदा क्या देगा?
बहुत बहुत बधाई।
भई इक बार फिर आप तारीफ़ के पात्र हैं!
बहुत सुंदर!
कमाल की रचना
खुशी तो सभी दिया करते हैं , पर गम देनें वाले बडे ही कम मिला करते हैं
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