वही जंग ज़िन्दगी में हरबार है
वही सफर और वही किरदार है
खुबसूरत तस्वीर और रंग बेहतरीन है
एक रोटी और ढेरो हकदार है
मेरे मुल्क में सब गद्दार
यहाँ सिर्फ गरीबी वफादार है
जो लड़ा सच से, सच के लिए
वो गाँधी भी आज शर्मसार है
राजनीती अच्छा खेल है
लेकिन यही खंडहर दीवार है
4 comments:
जो लड़ा सच से, सच के लिए
वो गाँधी भी आज शर्मसार है
राजनीती अच्छा खेल है
लेकिन यही खंडहर दीवार है
विपिन जी बहुत बढ़िया रचना के लिए बधाई
बहुत सुंदर...
बहुत ही सुण्दर कविता.
धन्यवाद
बहुत सुंदर रचना ।
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