Tuesday, June 24, 2008

वो रात

वो रात आज भी जब याद आती है,
तो मेरी आँखों में आ जाता है पानी,
जब वो आई थी मेरे घर,
दुल्हन की तरह सजी थी,
उसके हाथों में मेहन्दी लगी थी ,
उसकी आँखों में एक गुज़ारिश सी थी,
बरसो पुरानी यादो की कहानी भी थी,
पलकों में जैसे बादल बरस रहे थे,
होंठ जैसे लफ़्ज़ों के बोझ से दब रहे थे,
वो अपने ख़त लेने आई थी,
जिनके सहारे मुझे पूरी ज़िन्दगी गुज़ार देनी थी,
वो कुछ न बोली बस,
मेरे काँधे पे कुछ देर सर रखकर रोती रही,
और कुछ देर बाद अपने ख़त लेकर,
वो चली गई, मुझसे बहुत दूर, चली गई,
वो रात आज भी जब याद आती है,
तो मेरी आँखों में आ जाता है पानी]

2 comments:

कुश said...

बहुत अच्छे.. विपिन भाई.. बढ़िया लिखा है

seema gupta said...

मेरे काँधे पे कुछ देर सर रखकर रोती रही,
और कुछ देर बाद अपने ख़त लेकर,
वो चली गई, मुझसे बहुत दूर, चली गई,
" vireh vaidna ka sunder chitran"