Monday, June 30, 2008

तेरे शहर में

ये किस शहर में आ गये हैं हम?
करते है मोहब्बत ,
तो जुर्म कहते हैं,
और बनाते है दोस्त,
तो ग़रेबा पकड़ते है,
ये कैसा शहर है,
बेदर्दो का, ज़ालिमों का,
जॅहा न मोहब्बत है न दोस्ती है,
न प्यार है, न वफ़ा है,
शायद हम तेरे शहर में,
आ गये है"ज़िन्दगी"]

1 comment:

seema gupta said...

न प्यार है, न वफ़ा है,
शायद हम तेरे शहर में,
आ गये है"ज़िन्दगी"]
" very true and near to life"
"jindgee naam hai gum ka,
suru aahon se hotee hai,
gumo ke sath pultee hai,
ktm sanson pe hotee hai..."
Regards