Tuesday, July 1, 2008

ग़म

इस ग़म को कैसे छुपाती है दुनिया?
कोई तो बता दे हमें ए दुनिया,
हम भी छुपा अपने ये आँसू,
जैसे छुपाती है आँसू ये दुनिया,
कितना बड़ा ग़म है तेरा?
कितना छोटा ग़म है मेरा?
मगर फिर भी मैं रो रहा हूँ,
और तू हस रही है ए दुनिया,
इस ग़म को कैसे छुपाती है दुनिया?
कोई तो बता दे हमें ए दुनिया,

3 comments:

ghughutibasuti said...

बहुत सुन्दर ! रचना बहुत अच्छी लगी।
घुघूती बासूती

Udan Tashtari said...

अच्छे भाव हैं, लिखते रहिये.

seema gupta said...

इस ग़म को कैसे छुपाती है दुनिया?
कोई तो बता दे हमें ए दुनिया,
"wah bhut sunder"

" ghum ko chupana kittna aasan hai koee humse puche,
dil me tuffan , ankhon mey namee, fir bhee lbon pe kaise mushkan hai, koee humse puche???"

Regards