रात भर मेरा जिस्म था,
जिस पर तेरी सांसो के खंज़र चले,
दहकते, सुलगते होंठ थे तेरे,
होंठो से न जाने कितने शोले चले,
अंग-अंग में अजीब सी खुशबू थी,
जैसे खुश्बुओं के कई कारवां चले,
इस कदर समा रहे थे एक दूसरे में,
दरिया कोई समंदर में मिलने चले,
तूफ़ानी रात में एक गर्माहट थी तुम्हारी,
उस रात मोहब्बतो के कई दौर चले ]
2 comments:
bhut khub. likhate rhe.
तूफ़ानी रात में एक गर्माहट थी तुम्हारी,
उस रात मोहब्बतो के कई दौर चले ]
"marvellous"
Regards
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