Saturday, July 12, 2008

दरिया

आँखो के आँसुओं को दरिया करने है,
मंज़िल की राह में अभी तो कई सफ़र करने है,
तू हार न मान ए महुआ ज़िंदगी से,
अभी तो ज़िंदगी के कई समंदर पार करने है,
दिल के आँगन में जो छोटे छोटे सपने है,
वो सपने सब साकार करने है,
हार तो ज़रूरी है जीत की खुशी के लिए,
मगर हर हार के लम्हे जीत के पार करने है

9 comments:

shama said...

...."abhi to zindageeke kayi samadar paar karne hain...!Bohot khoob kaha!
Aapki tippaneeke liye dhanyawad kehne aayi thi!!
"Shamile zindageeke charaaghone
Peshe khidmad andhera kiyaa,
Maine khudko jalaa liyaa,
Raushane zindageeke khatir banke Shama,
Mujhe to ujala na mila,
Par suna,chand raahgeeronko
Thodasa hausla mila!!
Shama

राजीव रंजन प्रसाद said...

हार तो ज़रूरी है जीत की खुशी के लिए,
मगर हर हार के लम्हे जीत के पार करने है

बहुत खूब..


***राजीव रंजन प्रसाद

www.rajeevnhpc.blogspot.com

Advocate Rashmi saurana said...

तू हार न मान ए महुआ ज़िंदगी से,
अभी तो ज़िंदगी के कई समंदर पार करने है,
bhut badhiya. bal deti hui rachana.

सतीश पंचम said...

हार तो ज़रूरी है जीत की खुशी के लिए,
मगर हर हार के लम्हे जीत के पार करने है
बहुत खूब.....जारी रखें।

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा.

seema gupta said...

हार तो ज़रूरी है जीत की खुशी के लिए,
मगर हर हार के लम्हे जीत के पार करने है
" beautiful expression"

नीरज गोस्वामी said...

विपिन जी
ब्लॉग पर आने और खोपोली भ्रमण का शुक्रिया. आप का ब्लॉग देखा और हैरान रह गया इस उम्र में ये तेवर...भाई वाह...अल्पायु में आप की २०० कविताओं से सजी किताब भी छप गयी है जान कर सुखद आश्चर्य हुआ.आप की रचनाओं को पढ़ा और विचारों की ताजगी और विविधता को देख आप की लेखनी से बहुत प्रभावित हुआ हूँ. माँ सरस्वती आप पर अपनी अनुकम्पा यूँ ही बनाये रखे.
नीरज

अजित वडनेरकर said...

विपिन भाई,
शब्दों के सफर पर आए , अच्छा लगा। आप शानदार लिखते हैं ।
कृपया सैटिंग में जाकर ब्लागनेम हिन्दी में लिख दें - विपिन का ब्लाग । यह ज्यादा सार्थक और सुंदर लगेगा।

दीपक said...

आपकी सारी कविताये बरबस हमे आपकी तरफ़ खीच लायी ,आपकी तुलिका जिंदगी के हर एहसास की चित्रकारी काने मे समर्थ है ॥ऐसा ही अच्छा लिखते रहे !!