भगवान और खुदाखंज़र चलवा सकता है,अपने बन्दों से अपने बन्दों पर ." ah, very painful, well said, thought to be given consederation"Regards
की क्या वो,भगवान और खुदा ,खंज़र चलवा सकता है,अपने बन्दों से अपने बन्दों पर Ek shashwat prashn...bahut achchhi rachna...badhaineeraj
की क्या वो,भगवान और खुदा ,खंज़र चलवा सकता है,अपने बन्दों से अपने बन्दों पर .bilkul sahi parashn uthaya hai....
सोचने पर विवश करती एक उम्दा रचना ! शुभकामनाएं !
नहीं विपिन जी भगवान कभी भी किसी बन्दे से किसी बन्दे पर खंजर चलाने के लिए नहीं कहता है. ये तो आज का इन्सान है जो जानवरों से बदतर आदतों को अपने में समेटे हुए है और इस तरह की हरकत करता है जो दूसरों का चैन और सुकून छीनते है.
विपिन बहुत खूब, इसी सोच पर मैने भी एक कविता लिखी थी, कल पोस्ट करूँगा पढ़ियेगा जरूरभगवान और खुदाखंज़र चलवा सकता है,अपने बन्दों से अपने बन्दों पर मंजर से लेकर खंजर तक सबकुछ चुभता सा सच,
prshaant ji ne theek kaha hai ...vipin....
संवेदनशील रचना !
rachana bhavuk hai.
भगवान और खुदाखंज़र चलवा सकता है,अपने बन्दों से अपने बन्दों पर .? बहुत ही भावुक सवाल लेकिन अकल के अंधो के लिये .धन्यवाद इस अच्छी रचना के लिये
संवेदनशील रचना है।
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12 comments:
भगवान और खुदा
खंज़र चलवा सकता है,
अपने बन्दों से अपने बन्दों पर .
" ah, very painful, well said, thought to be given consederation"
Regards
की क्या वो,
भगवान और खुदा ,
खंज़र चलवा सकता है,
अपने बन्दों से अपने बन्दों पर
Ek shashwat prashn...bahut achchhi rachna...badhai
neeraj
की क्या वो,
भगवान और खुदा ,
खंज़र चलवा सकता है,
अपने बन्दों से अपने बन्दों पर .
bilkul sahi parashn uthaya hai....
सोचने पर विवश करती एक
उम्दा रचना ! शुभकामनाएं !
नहीं विपिन जी भगवान कभी भी किसी बन्दे से किसी बन्दे पर खंजर चलाने के लिए नहीं कहता है. ये तो आज का इन्सान है जो जानवरों से बदतर आदतों को अपने में समेटे हुए है और इस तरह की हरकत करता है जो दूसरों का चैन और सुकून छीनते है.
विपिन बहुत खूब, इसी सोच पर मैने भी एक कविता लिखी थी, कल पोस्ट करूँगा पढ़ियेगा जरूर
भगवान और खुदा
खंज़र चलवा सकता है,
अपने बन्दों से अपने बन्दों पर
मंजर से लेकर खंजर तक सबकुछ चुभता सा सच,
prshaant ji ne theek kaha hai ...vipin....
संवेदनशील रचना !
rachana bhavuk hai.
भगवान और खुदा
खंज़र चलवा सकता है,
अपने बन्दों से अपने बन्दों पर .?
बहुत ही भावुक सवाल लेकिन अकल के अंधो के लिये .
धन्यवाद इस अच्छी रचना के लिये
संवेदनशील रचना है।
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