प्रियवर, आपका संकलन 'जिन्दगी' मैंने बखूबी पढ़ा. शिल्पगत त्रुटियां एकदम दूर नहीं होंगी. एकाग्रता एवं निरन्तरता (लेखन ही नहीं पठन की भी) जारी रखें. किसी स्थानीय वरिष्ठ कवि से भी इसलाह करते रहें. कथ्य में कल्पना, प्रेरणा, यथार्थ खूब है . इसके लिये आपको बधाई. सितम्बर में काफी व्यस्तता रहेगी अक्टूबर में याद दिलाइयेगा. मैं संकलन की कुछ कविताऒं को इंगित भी करूंगा. अन्यथा न लें. शेष शुभ. --योगेन्द्र मौदगिल
21 comments:
बहूत सुंदर लिखा है आपने-
नही चाहते हो हमें अगर तुम,
तो दिखावे की दुआ न करो,
साफगोई पसंद आई।
badhiya hai....
Achhi rachna. Akshar bahut chhote hain. font size thodi si badhayenge to ankhon par jor kam lagana padega.
" beautiful creation, keep it up"
Regards
बहुत खूब
हमेशा की तरह से अति सुन्दर रचना.
धन्यवाद
बहुत अच्छा लिखा है। बधाई
बहुत उम्दा है विपिन जी-बेहतरीन!!
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निवेदन
आप लिखते हैं, अपने ब्लॉग पर छापते हैं. आप चाहते हैं लोग आपको पढ़ें और आपको बतायें कि उनकी प्रतिक्रिया क्या है.
ऐसा ही सब चाहते हैं.
कृप्या दूसरों को पढ़ने और टिप्पणी कर अपनी प्रतिक्रिया देने में संकोच न करें.
हिन्दी चिट्ठाकारी को सुदृण बनाने एवं उसके प्रसार-प्रचार के लिए यह कदम अति महत्वपूर्ण है, इसमें अपना भरसक योगदान करें.
-समीर लाल
-उड़न तश्तरी
वाह
अपने वो दिन याद आ गये :)
वाकई फांट का साइज़ बढ़ाइये
अच्छी रचना
बहुत सुन्दर रचना । बधाई |
vinay
नही चाहते हो हमें अगर तुम,
तो दिखावे की दुआ न करो,
चंद लम्हों के लिए जिया न करो,
मोहब्बत चाहे न करो,
bahut khub. bilkul sahi kaha aapne or safai k sath
acha likha h
चंद लम्हों के लिए जिया न करो,
मोहब्बत चाहे न करो,
मगर अपने दिल से दूर भी न करो।
bahut sunder
प्रियवर,
आपका संकलन 'जिन्दगी' मैंने बखूबी पढ़ा.
शिल्पगत त्रुटियां एकदम दूर नहीं होंगी.
एकाग्रता एवं निरन्तरता
(लेखन ही नहीं पठन की भी) जारी रखें.
किसी स्थानीय वरिष्ठ कवि से भी इसलाह करते रहें.
कथ्य में कल्पना, प्रेरणा, यथार्थ खूब है .
इसके लिये आपको बधाई.
सितम्बर में काफी व्यस्तता रहेगी अक्टूबर में याद दिलाइयेगा. मैं संकलन की कुछ कविताऒं को इंगित भी करूंगा.
अन्यथा न लें. शेष शुभ.
--योगेन्द्र मौदगिल
good ....keep it up
हम कहते है मेरे दुःख की दवा न करो,
सज़ा दी है ज़िन्दगी ने हमें,
मगर ख़ुद को हमसे यू खफा न करो,
बहुत सुन्दर भाव हैं, सीधे दिल में उतर जाने वाले।
सज़ा दी है ज़िन्दगी ने हमें,
मगर ख़ुद को हमसे यू खफा न करो,
बहुत खूब विपिन जी
नही चाहते हो हमें अगर तुम,
तो दिखावे की दुआ न करो,
अच्छा लिखा है।
अच्छा लिखा है।
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