Friday, June 27, 2008

बचपन

एक बचपन तेरा भी था,
एक बचपन मेरा भी था,
उस नीम के नीचे ,
घंटों खेला करते थे,
साथ हॅसा करते थे,
साथ ही रोया करते थे,
वो यादे कहाँ चली गयी?
तू कहाँ चली गयी?
आज जब आया उसी नीम के नीचे,
बच्चों को खेलते देखा,
तो तेरी याद आ गयी,
तू कहाँ चली गयी?
वो यादे कहाँ चली गयी?

5 comments:

ghughutibasuti said...

बस यादें ही रह जाती हैं। अच्छा लिखा है।
घुघूती बासूती

कुश said...

bahut achhe vipin.. yuhi likhte rahe..

aur ha ye comments wale page se word verification hata lijiye..

Advocate Rashmi saurana said...

vipinji, bhut aachi rachana. likhate rhe.
aap apna word verification hata le taki humko tipani dene me aasani ho.

art said...

fulzबहुत सुन्दर ! बधाई स्वीकार करें।

seema gupta said...

तो तेरी याद आ गयी,
तू कहाँ चली गयी?
वो यादे कहाँ चली गयी?

lil bit pain ful.........nice to read
गुजरे हुए लम्हों को
यादों में बुला लेना,
बीते हुए बचपन को,
यादों मे संजों लेना