Wednesday, July 9, 2008

हालात

जिसने देखे है ख्वाब आसमानों के,
उसे रेंगने को मजबूर न करो,
नादान दिलों को बंधनो में बाँधकर,
अपने विचारों जैसा जीने को मजबूर न करो,
उड़ जाएगें एक दिन ये पंछी सारे,
इन्हे पिंजरो में ज़्यादा देर तक क़ैद न करो,
अंकुश तो ज़रूरी है,अच्छे चरित्र के लिए,
मगर पूरे जीवन पर कड़ी पहरेदारी न करो,
जानता हूँ रिश्तो में बहुत पीड़ा होती है,
कहीं गाँठे पड़ जाए, हालात एसे भी न करो ]

5 comments:

ghughutibasuti said...

बहुत बढ़िया !
घुघूती बासूती

seema gupta said...

जानता हूँ रिश्तो में बहुत पीड़ा होती है,
कहीं गाँठे पड़ जाए, हालात एसे भी न करो ]
" bhut shee kha,bhut hee shee"

मीनाक्षी said...

एक ही बार में सभी कविताएँ पढ़ गए.. शब्द और भाव का सुन्दर रूप दिखाई देता है. सरस्वती माँ इसी तरह अपनी कृपा बनाए रखे.. यही शुभकामना है.

Anil Pusadkar said...

kahin ganthe pad jayee bahut achhe vipin jee

Anil Pusadkar said...

kahin ganthe pad jayee bahut achhe vipin jee