उसे रेंगने को मजबूर न करो,
नादान दिलों को बंधनो में बाँधकर,
अपने विचारों जैसा जीने को मजबूर न करो,
उड़ जाएगें एक दिन ये पंछी सारे,
इन्हे पिंजरो में ज़्यादा देर तक क़ैद न करो,
अंकुश तो ज़रूरी है,अच्छे चरित्र के लिए,
मगर पूरे जीवन पर कड़ी पहरेदारी न करो,
जानता हूँ रिश्तो में बहुत पीड़ा होती है,
कहीं गाँठे पड़ जाए, हालात एसे भी न करो ]
5 comments:
बहुत बढ़िया !
घुघूती बासूती
जानता हूँ रिश्तो में बहुत पीड़ा होती है,
कहीं गाँठे पड़ जाए, हालात एसे भी न करो ]
" bhut shee kha,bhut hee shee"
एक ही बार में सभी कविताएँ पढ़ गए.. शब्द और भाव का सुन्दर रूप दिखाई देता है. सरस्वती माँ इसी तरह अपनी कृपा बनाए रखे.. यही शुभकामना है.
kahin ganthe pad jayee bahut achhe vipin jee
kahin ganthe pad jayee bahut achhe vipin jee
Post a Comment